Valmiki Jayanti हर वर्ष आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। इस दिन महर्षि वाल्मीकि का जन्म हुआ था, जो रामायण के रचनाकार और समाज सुधारक के रूप में प्रसिद्ध हैं। महर्षि वाल्मीकि की शिक्षाएँ और विचार आज भी लोगों के लिए प्रेरणास्रोत हैं। उनकी काव्य कला, भक्ति, और समाज के प्रति उनके योगदान को याद करने का यह एक विशेष अवसर है।
इस दिन शरद पूर्णिमा भी मनाई जाती है, जो भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखती है। इस दिन मंदिरों में महर्षि वाल्मीकि की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। श्रद्धालु व्रत, स्नान, और दान-पुण्य करके इस दिन का महत्व बढ़ाते हैं।
वाल्मीकि का जीवन
Valmiki ji का जन्म त्रेतायुग में प्रचेता नामक ब्राह्मण के यहाँ हुआ था। उनके बचपन का नाम रत्नाकर था। रत्नाकर का जीवन कठिनाइयों से भरा था। अपने परिवार की जिम्मेदारियों के कारण, उन्होंने चोरी और डकैती का मार्ग अपनाया। एक दिन, जब वे नारद मुनि को लूटने का प्रयास कर रहे थे, तब नारद मुनि ने उन्हें अपने पापों के फल के बारे में विचार करने के लिए कहा। यह बात उनके मन में गहरी छाप छोड़ गई और उन्होंने अपने परिवार वालों से इस बारे में पूछा। जब परिवार ने पाप में भागीदारी से इनकार किया, तो रत्नाकर को अपनी गलतियों का एहसास हुआ।
तपस्या और नाम परिवर्तन
रत्नाकर ने तुरंत सब कुछ छोड़कर नारद मुनि के पास जाकर तपस्या करने का निर्णय लिया। नारद मुनि ने उन्हें राम नाम का जाप करने की सलाह दी। समय बीतते-बीतते, रत्नाकर ने अपनी तपस्या में लीन होकर ब्रह्मा के दर्शन किए और उनका नाम Valmiki रखा गया, जिसका अर्थ है “जो कीड़ों से मुक्त”।
क्रौंच पक्षियों की कथा
Valmiki जी की रचनाओं की प्रेरणा एक अन्य घटना से भी मिली। एक दिन, वे अपने शिष्य भारद्वाज के साथ तमसा नदी के किनारे पहुंचे। वहाँ उन्होंने एक सुंदर दृश्य देखा: दो क्रौंच पक्षी प्रेम में लीन थे। अचानक, एक शिकारी ने एक पक्षी को मार दिया। यह दृश्य देखकर वाल्मीकि जी अत्यंत दुखी हुए और उन्होंने पहले श्लोक की रचना की:
“ओ मा निषाद प्रतिष्ठां त्वमगम अगर महक शाश्वती समा यत्क्रौंचमिथुनादेकमवधी काममोहितम्।”
इस श्लोक में उन्होंने शिकारी को श्राप दिया और प्रेम में मग्न पक्षियों के दुख को व्यक्त किया। यह घटना उनकी रचनात्मकता का आरंभ थी और उन्हें रामायण लिखने के लिए प्रेरित किया।
2024 में Valmiki Jayanti
वर्ष 2024 में वाल्मीकि जयंती 17 अक्टूबर को, यानी कि गुरुवार के दिन मनाई जाएगी। इस दिन पूजा का विशेष मुहूर्त भी होता है, जिसे जानना जरूरी है।
रामायण का रचनात्मक कार्य
Valmiki ji को ब्रह्मा ने मिलने के बाद रामायण लिखने का आदेश दिया। उन्होंने राम के जीवन और उनके आदर्शों को 24,000 श्लोकों में समेटा, जो सात खंडों में विभाजित है:
- बालकांड
- अयोध्याकांड
- अरण्यकांड
- किष्किंधाकांड
- सुंदरकांड
- युद्धकांड (लंका कांड)
- उत्तरकांड
इन खंडों में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जीवन के विभिन्न पहलुओं का वर्णन किया गया है। वाल्मीकि जी ने रामायण के माध्यम से आदर्श जीवन जीने की प्रेरणा दी है और समाज में नैतिकता और धर्म के महत्व को रेखांकित किया है।
विशेष कार्यक्रम
Valmiki Jayanti के दिन कई स्थानों पर शोभा यात्रा का आयोजन किया जाता है, जिसमें श्रद्धालु वाल्मीकि जी के जीवन को प्रदर्शित करते हुए भजन गाते हैं। यह यात्रा उनके विचारों को फैलाने और समाज में उनके योगदान को मान्यता देने का एक तरीका है।
साथ ही, कई मंदिरों में रामायण का पाठ भी किया जाता है, जो महर्षि वाल्मीकि के जीवन को समझने में मदद करता है। यह दिन दान और पुण्य का भी विशेष महत्व रखता है, इसलिए इस दिन जरुरतमंदों की मदद करने का प्रयास करें।
Valmiki Jayanti न केवल महर्षि वाल्मीकि के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है, बल्कि यह हमें उनकी शिक्षाओं और विचारों की याद दिलाती है। इस दिन को मनाने का सही तरीका है अपनी धार्मिक आस्था के साथ पूजा करना, भक्ति में लीन रहना, और समाज के प्रति सकारात्मकता फैलाना।
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