Guru Purnima : शास्त्रों में गुरु का स्थान सभी देवी देवताओं से ऊपर माना गया है | तीनों देव जो कि त्रिदेव माने जाते हैं ब्रह्मा , विष्णु ,और महेश इन तीनों से ऊपर माना गया है गुरु का स्थान | आइये जानते हैं अषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि के बारे में | Guru Purnima का दिन बहुत विशेष होता है इस दिन को गुरु के प्रति आभार व्यक्त करने का अवसर माना गया है | क्योंकि गुरु ही है , जो कि हमें अज्ञान के अंधकार से निकालकर ज्ञान रूपी प्रकाश में लेकर जाते हैं | और इसलिए शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि गुरु के बिना तो परम ब्रह्म ज्ञान और मोक्ष दोनों ही प्राप्त नहीं होता |
गुरू ब्रह्मा गुरू विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा,
गुरु साक्षात परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नम:||
इसलिए गुरु अत्यंत आवश्यक है | Guru Purnima का व्रत कब किया जाएगा ? गुरु का पूजन आज के दिन किस प्रकार से करना चाहिए ? पूर्णिमा तिथि कब प्रारंभ हो रही है ? कब समाप्त हो रही है ? चंद्रमा के दर्शन करने का यानी कि चंद्रोदय समय का शुभ मुहूर्त क्या है ? जो भक्त सत्यनारायण का व्रत करते हैं उन्हें सत्यनारायण का व्रत कब धारण करना है ? और आज के दिन किस प्रकार से पूजा आराधना करनी चाहिए कौन से उपाय करने चाहिए ? आइये जानते हैं |
Guru Purnima : पूर्णिमा तिथि कब प्रारंभ होगी और कब समाप्त होगी ?
जो भक्त पूर्णिमा तिथि का या सत्यनारायण का व्रत धारण करते हैं उन्हें व्रत कब धारण करना है ? पंचांग के अनुसार इस साल आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि 20 जुलाई को यानी कि शनिवार की शाम को 5:59 पर प्रारंभ हो रही है | वहीं इस तिथि का समापन हो रहा है 21 जुलाई को दोपहर के समय 3:40 पर तो सूर्योदय कालीन तिथि के अनुसार 21 जुलाई 2024 को आषाढ़ मास की पूर्णिमा का व्रत रखा जाएगा | इसी दिन व्रत की पूर्णिमा भी है , और इसी दिन स्नान दान इत्यादि सभी चीजें की जाएंगी | गुरु की पूजा भी इसी दिन की जाएगी तो Guru Purnima का व्रत 21 जुलाई 2024 रविवार को रखा जाएगा |
इस दिन सूर्योदय काल का समय रहेगा सुबह 5:37 पर और सूर्यास्त का समय रहेगा शाम को 7:16 पर | चंद्रोदय काल का समय रहेगा शाम को 7:31 पर | लेकिन हां आप अपने शहर में भी देख सकते हैं , आपके यहां जब चंद्रमा उदित हो जाते हैं उसी समय आप चंद्रमा को अर्घ देकर उनकी पूजा कर सकते हैं |
21 जुलाई को राहुकाल का समय रहेगा शाम को 5:30 से 7 बजे तक | राहुकाल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए ,और अभिजीत मुहूर्त जिसमें कि सभी प्रकार के शुभ कार्य किए जाते हैं वह समय रहेगा 21 जुलाई को दोपहर 12:06 से 12:59 तक |
Guru Purnima के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने का विधान है , तो ब्रह्म मुहूर्त का समय रहेगा सुबह 4:03 से 4:47 तक | 21 जुलाई को पूर्णिमा तिथि के दिन काफी शुभ योग हमें प्राप्त हो रहा है | जिसे कि सर्वार्थ सिद्धि योग कहते हैं | और यह हमें प्राप्त हो रहा है 21 जुलाई को सुबह 5:57 से 22 जुलाई को सुबह 12:14 मिनट तक |
तो पूरे दिन और पूरी रात्रि का सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा | इस योग का महत्व आप सभी जानते हैं , इस समय में अगर आप कोई भी कार्य करते हैं तो उस कार्य में आपको सिद्धि मिल जाती है | मंत्रों का जप करते हैं पूजा पाठ करते हैं कोई भी शुभ कार्य करते हैं तो उसका फल भी आपको कई गुना होकर प्राप्त होता है |
किसी भी कामना को पूर्ण करने के लिए अगर आप कोई उपाय करते हैं तो उसका फल भी आपको बहुत शीघ्र प्राप्त होता है तो Guru Purnima का दिन और सर्वार्थ सिद्धि योग का होना अपने आप में एक दुर्लभ संयोग है | इस समय में अगर आप अपने गुरु की पूजा करते हैं , उनका आशीर्वाद लेते हैं या फिर आप कोई भी दान करते हैं | तो इसका फल आपको कई गुना होकर प्राप्त होगा |
पूर्णिमा तिथि के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विधान हमारे शास्त्रों में बताया गया है , चाहे तो किसी पवित्र नदी में जाकर स्नान कर सकते हैं या फिर अगर आप किसी पवित्र नदी में स्नान के लिए नहीं जा पाते हैं तो अपने घर में भी सुबह जल्दी उठकर सूर्योदय से पहले गंगा जल मिश्रित जल से आप स्नान करते हैं तो इससे भी आपको गंगा में स्नान के समान ही पुण्य फल प्राप्त होता है |
Guru Purnima : पूजा विधि
पूर्णिमा तिथि के दिन स्नान करने के बाद साफ स्वच्छ वस्त्र धारण करके गंगाजल मिश्रित जल से भगवान सूर्यदेव को अर्घ देना चाहिए , मतलब आप एक तांबे के पात्र में थोड़ा सा गंगाजल डाल दीजिए फिर जल से उसे भर दीजिए फिर उसमें आप रोली , हल्दी अक्षत इत्यादि डालकर लाल पुष्प डालकर भगवान सूर्यदेव को अर्घ दीजिए और इसके बाद अपने घर के मंदिर में जो भी देवी देवता विराजित हैं उनकी विधि विधान से पूजा कर लीजिए | शुद्ध घी का दीपक घर के मंदिर में प्रज्वलित करके और अगर आप व्रत धारण करते हैं तो व्रत का संकल्प ले सकते हैं |
देखिए बिना संकल्प लिए व्रत को पूर्ण नहीं माना जाता है इसलिए अपने हाथ में जल और पुष्प लेकर व्रत का संकल्प ले लीजिए कि आज आप Guru Purnima का व्रत धारण कर रहे हैं व्रत में पूजा पाठ में जाने-अनजाने कोई भूल चूक हो जाती है इसके लिए क्षमा प्रार्थना करके और भगवान से प्रार्थना कीजिए कि आपकी मनोकामना को पूर्ण करें |
आपके ऊपर कृपा उनकी सदा बनी रहे इस प्रकार से प्रार्थना करके आपके हाथ में जो सामग्री है भगवान श्री हरि विष्णु और महालक्ष्मी के चरणों में अर्पित कर दीजिए , उसके बाद विधि विधान से श्री हरि विष्णु और महालक्ष्मी की पूजा कीजिए , अगर आपके पास विग्रह है श्री हरि विष्णु का और महालक्ष्मी का तो आप उनका अभिषेक कर सकते हैं | गंगाजल मिश्रित जल से या फिर कच्चे दूध में केसर मिलाकर या फिर पंचामृत से अभिषेक करने के बाद भगवान श्री हरि विष्ण को पीले वस्त्र अर्पित करें |
मां लक्ष्मी को लाल वस्त्र अर्पित करें और इसके बाद धूप ,दीप , अक्षत , पुष्प , नैवेद्य इत्यादि अर्पित करके विधि विधान से श्री लक्ष्मी नारायण की आराधना कीजिए | आज के दिन लक्ष्मी नारायण की पूजा करने से समस्त प्रकार की संपदा की प्राप्ति हो जाती है | मतलब सुख समृद्धि सौभाग्य संतान आपकी जो भी मनोकामना हो समस्त मनोकामनाएं श्री लक्ष्मी नारायण की कृपा से पूर्ण होती है |
Guru Purnima में क्या करना चाहिए और क्या नहीं ?
Guru Purnima तिथि का महत्व इतना अधिक है जैसे कि आज गुरु पूर्णिमा है तो अपने घर के मंदिर में भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा आराधना करने के बाद आपको अपने गुरु का भी पूजन करना है | तो अगर आपने दीक्षा ली है , आपके कोई गुरु हैं तो आप उनका पूजन कर सकते हैं | लेकिन मान लीजिए कि आपने किसी से दीक्षा नहीं ली है किसी को गुरु आपने अब तक नहीं बनाया है , तो ऐसे में भगवान श्री हरि विष्णु को आप अपना गुरु मान कर उनकी पूजा आराधना कर सकते हैं |
या जो भी आपके ईष्ट देवता हैं , जैसे कि भगवान भोलेनाथ , हनुमान जी जिसमें भी आपकी आस्था है उन्हीं की पूजा कीजिए | उन्हें अपना गुरु मानकर उनका विधि विधान से अगर आप पूजा करते हैं तो गुरु पूर्णिमा का संपूर्ण फल आपको प्राप्त होता है |
और हां आज अपने गुरु द्वारा मिले हुए मंत्र का अधिक से अधिक संख्या में जप करना चाहिए | अब मान लीजिए कि आपके कोई गुरु नहीं है तो जिनको भी आप गुरु मानकर मतलब जिस भी देवता को आप गुरु मानकर पूजा कर रहे हैं , उसी देवता के मंत्र का आप जप कर सकते हैं | और अगर आपके कोई गुरु हैं तो आप उनके पास जाकर उनके चरण स्पर्श करें और उनका विधि विधान से पूजा करने के बाद उनका आशीर्वाद प्राप्त करें | आज अपने गुरु को यथासंभव दान दक्षिणा देना चाहिए वस्त्र , धन , फल इत्यादि जो भी आप दान करना चाहते हैं अपने गुरु को दान दीजिए फिर चरण स्पर्श करके उनका आशीर्वाद लीजिए |
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