Narak Chaturdashi : दीपावली, जिसे महापर्व कहा जाता है, हर वर्ष कार्तिक मास में मनाया जाता है। यह पर्व पांच दिनों तक चलता है और इसमें अनेक धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियाँ शामिल होती हैं। इस वर्ष, Narak Chaturdashi और काली चौदस के महत्व को समझना बेहद आवश्यक है, खासकर जब कि लोग इस बार की तिथियों को लेकर संशय में हैं।
छोटी दीपावली, जिसे Narak Chaturdashi और काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है, दीपावली महापर्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह दिन भगवान श्री कृष्ण द्वारा नरकासुर का वध करने की स्मृति में मनाया जाता है, जिसमें उन्होंने 16100 कन्याओं को उसके बंदीगृह से मुक्त किया। यह दिन हमें न केवल धार्मिक भाव से जोड़ता है, बल्कि परिवार और समाज में प्रेम और समर्पण की भावना को भी प्रबल करता है।
Narak Chaturdashi : परंपरा और महत्व
Narak Chaturdashi , जिसे छोटी दीपावली भी कहा जाता है, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन लोग अपने परिवार की सुरक्षा के लिए यमराज और अन्य देवी-देवताओं की पूजा करते हैं। यम का दीपक जलाना इस दिन की प्रमुख परंपरा है, जिससे परिवार अकाल मृत्यु से सुरक्षित रहता है।
इस बार, Narak Chaturdashi की तिथि 30 अक्टूबर 2024 को दोपहर 1:01 बजे प्रारंभ होगी और 31 अक्टूबर को दोपहर 3:05 बजे समाप्त होगी। चूंकि 31 अक्टूबर को सूर्योदय के समय चतुर्दशी तिथि उपस्थित होगी, इसलिए इस दिन अभ्यंग स्नान करना अधिक महत्वपूर्ण है।
अभ्यंग स्नान का महत्व
अभ्यंग स्नान, जो कि इस दिन किया जाता है, पापों से मुक्ति दिलाने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, यह स्नान सूर्योदय से पूर्व किया जाना चाहिए, जब चतुर्दशी तिथि मौजूद हो। इस वर्ष, अभ्यंग स्नान का समय 31 अक्टूबर को प्रातः 5:02 बजे से 6:32 बजे तक रहेगा।
स्कंद पुराण में उल्लेख है कि इस दिन स्नान करने से यमलोक में जाने का भय नहीं रहता। स्नान के लिए तिल के तेल का उपयोग करने की सलाह दी जाती है, जिससे व्यक्ति को पवित्रता और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
नरक चतुर्दशी और काली चौदस का भेद
कई लोग Narak Chaturdashi और काली चौदस को एक ही समझते हैं, लेकिन ये दोनों अलग-अलग पर्व हैं। काली चौदस, विशेष रूप से पश्चिमी भारत में मनाई जाती है, जिसमें देवी महाकाली की पूजा की जाती है। यह पर्व चतुर्दशी तिथि की मध्य रात्रि में मनाया जाता है, जबकि नरक चतुर्दशी का दिन विशेष रूप से यमराज की पूजा के लिए है।
इस वर्ष, काली चौदस का पर्व 30 अक्टूबर को रात्रि में मनाया जाएगा, जबकि Narak Chaturdashi का महत्व 31 अक्टूबर को प्रातःकाल से रहेगा।
यम दीपक जलाने का समय
यम का दीपक जलाने के लिए 30 अक्टूबर की शाम को 5:30 से 7:02 बजे के बीच का समय सर्वोत्तम माना गया है। यह दीपक दक्षिण दिशा में जलाना चाहिए, ताकि यमराज का आशीर्वाद प्राप्त हो सके। दीपक जलाने से न केवल पारिवारिक सुरक्षा होती है, बल्कि यह नर्क के कष्टों से भी बचाता है।
दीप जलाने के बाद एक विशेष मंत्र का जाप करें: मंत्र: “शुंभ करोति कल्याणम आरोग्यम धन संपदा शत्रु बुद्धि विनाशाय दीप ज्योतिर नमोस्तुते”
इस मंत्र का जाप कम से कम 11 बार करें। यह मंत्र आपके घर की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और परिवार को स्वास्थ्य एवं समृद्धि प्रदान करता है।
दीपावली का महापर्व हमें न केवल आध्यात्मिक रूप से जुड़ने का अवसर देता है, बल्कि यह हमारे परिवार और समाज की सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है। Narak Chaturdashi और काली चौदस के बीच का भेद जानकर हम अपनी पूजा और स्नान के समय का सही चयन कर सकते हैं।
इस वर्ष की Narak Chaturdashi और काली चौदस के उत्सवों को लेकर आपके सभी संशय स्पष्ट हो गए होंगे। हमें आशा है कि आप इस पर्व को श्रद्धा और उत्साह से मनाएंगे। अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो, तो इसे अपने मित्रों और परिवार के साथ साझा करना न भूलें।