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Uniform Civil Code : यूनिफार्म सिविल कोड क्या हैं ?

Uniform Civil Code

Uniform Civil Code

आज लाल किले से माननीय प्रधानमंत्री जी ने अपने भाषण के दौरान Uniform Civil Code के बारे में भी बात की । जिससे यह संकेत मिल रहा हैं कि देश में Uniform Civil Code जल्द ही लागू किया जा सकता हैं । उन्होंने कहा कि अब आजादी के 75 साल बाद कम्यूनल सिविल कोड की जगह सेक्युलर सिविल कोड की आवश्यकता हैं ।

प्रधानमंत्री ने जी ने Uniform Civil Code के बारे में क्या कहा ?

प्रधानमंत्री ने जी ने अपने भाषण के दौरान कहा कि -“जिस सिविल कोड को हम लेकर के जी रहे हैं वह सिविल कोड सचमुच में तो एक प्रकार का कम्युनल सिविल कोड हैं , भेदभाव करने वाला सिविल कोड है , ऐसे सिविल कोड से जब संविधान के 75 वर्ष मना रहे हैं और , संविधान की भावना भी जो हमें कहती है करने के लिए , देश की सुप्रीम कोर्ट भी हमें कहती है करने के लिए और तब जो संविधान निर्माताओं का सपना था उस सपने को पूरा करना हम सबका दायित्व है | और मैं मानता हूं इस गंभीर विषय पर देश में व्यापक चर्चा हो |

Uniform Civil Code

हर कोई अपने विचारों को लेकर आए और उन कानूनों को जो कानून , धर्म के आधार पर देश को बांटते हो , जो ऊंच नीच का का बन जाते हैं , ऐसे कानूनों को आधुनिक समाज में कोई स्थान नहीं हो सकता है| और इसलिए मैं तो कहूंगा अब समय की मांग है कि देश में एक सेक्यूलर सिविल कोड हो , हमने कम्युनल सिविल कोड में 75 साल बिताए हैं , अब हमें सेकुलर सिविल कोड की तरफ जाना होगा , और तब जाकर के देश में धर्म के आधार पर जो भेदभाव हो रहे हैं , सामान्य नागरिक को जो दूरी महसूस होती है , उससे हमें मुक्त मिलेगी |”

Uniform Civil Code क्या हैं ?

Uniform Civil Code : India में अभी पिछले 75 वर्षो से जो सिविल कोड चल रहा हैं वो कम्युनल हैं , मतलब कम्युनिटी के अनुसार हैं , अलग अलग धर्म के लिए अलग अलग कानून हैं । हालांकि बहुत मामलों में सिविल कोड लागू हैं ,जैसे मर्डर इत्यादि , लेकिन अभी भी शादी , तलाक जैसे मामलों में अभी भी पर्सनल लॉ लागू हो रहे हैं ।

सबसे अच्छा उदाहरण मर्डर का हैं , यानी अगर भारत में कोई भी मर्डर करता हैं चाहे वो किसी भी धर्म का हो , वो IPC के सेक्शन 302 के तहत ही सजा का पात्र होगा । अर्थात सभी को समान सजा मिलेगी चाहे वो हिंदू हो , मुस्लिम हो , सिख हो ,या ईसाई हो । मतलब यह यूनिवर्सल लॉ हैं ।

लेकिन इसका एक एक्सेप्शन हैं पर्सनल लॉ , जो अलग अलग धर्म के अनुसार हैं । जो इन मामलों में हैं marriage, Divorce , Inheritance , Adoption , and Maintenance आदि। इन मामलों में अलग अलग रिलीजन के लिए अलग अलग खुद के पर्सनल लॉ हैं । जिन्हे समाप्त कर सभी के लिए एक समान कानून लाने के लिए UCC की मांग की जा रही हैं । जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार को कई Uniform Civil Code लाने के लिए कह चुकी हैं ।

Hindu Personal Laws

इसके अंतर्गत Hindu marriage Act 1955 , the Hindu Succession Act 1956 , the Hindu Minority and Guardianship Act 1956 और The Hindu Adoption and Maintenance Act 1956 हैं। जो हिंदू , बुद्ध, जैन और सिखों पर लागू होता हैं । जिसके अंतर्गत शादी , डिवोर्स , एडॉप्शन इत्यादि कवर होता हैं ।

इसी तरह मुस्लिमों के लिए भी मुस्लिम पर्सनल लॉ हैं , उदाहरण के तौर पर एक हिंदू व्यक्ति एक पत्नी के रहते हुए दूसरी शादी नही कर सकता , मतलब एक समय में एक ही शादी  रह सकती हैं । वही मुस्लिमों को उनका पर्सनल लॉ एक से अधिक शादी की इजाजत देता हैं । इसी तरह तलाक के संबंध में   हैं ।

इस तरह के पर्सनल लॉ कही ना कही समान नागरिक समान कानून के विपरीत हैं , इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को कई बार घेरा हैं , उन्होंने सरकार को भी कहा हैं कि आप Uniform Civil Code कब लागू कर रहे हैं ।

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