Sharad Purnima का पर्व हमारे भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह पर्व न केवल आध्यात्मिकता को बढ़ावा देता है, बल्कि यह स्वास्थ्य, समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक भी है। इस लेख में, हम शरद पूर्णिमा की तिथि, इसके महत्व और पूजा विधि के बारे में विस्तृत रूप से जानेंगे।
Sharad Purnima की तिथि
इस वर्ष Sharad Purnima का व्रत 16 अक्टूबर 2024, बुधवार को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा तिथि का आरंभ 16 अक्टूबर की रात 8:04 बजे होगा और यह 17 अक्टूबर को शाम 4:55 बजे तक रहेगी। इस प्रकार, शरद पूर्णिमा का पर्व 16 अक्टूबर को ही मनाना उचित है।
शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं के साथ प्रकट होता है और रात भर अपनी किरणों से अमृत वर्षा करता है। यह एक अद्वितीय अवसर है, जब चंद्रमा की किरणों में विशेष औषधीय गुण होते हैं। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी यह दिन महत्वपूर्ण है, क्योंकि चंद्रमा पृथ्वी के निकट होता है, जिससे उसके प्रकाश का स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
शरद पूर्णिमा का महत्व
Sharad Purnima का दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा का है। इस दिन की एक विशेष परंपरा है, जिसमें चंद्रमा को अर्घ्य देकर उसकी किरणों से खीर बनाने की परंपरा है। यह खीर स्वास्थ्यवर्धक मानी जाती है और इसे चंद्रमा की छाया में रखकर अगले दिन खाने से विशेष लाभ होता है।
इसके अलावा, इस दिन को फसल उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। किसान अपनी मेहनत का फल पाते हैं और फसलों की अच्छी कटाई का उत्सव मनाते हैं। इसे मनसो जाता है, क्योंकि चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है। जब मन शांत और सुखद रहता है, तब हम हर कार्य में सफल होते हैं।
पूजा विधि
Sharad Purnima के दिन पूजा करने की विधि निम्नलिखित है:
1. स्नान और शुद्धता
प्रातः उठकर स्नान करें और शुद्ध वस्त्र पहनें। सफेद या पीले रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है। यह शुद्धता की भावना को दर्शाता है।
2. पूजा स्थल की सजावट
एक लकड़ी की चौकी लें और उस पर लाल या पीला वस्त्र बिछाएं। इसके बाद मां लक्ष्मी एवं भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। यह आपकी पूजा को पवित्र और विशेष बनाता है।
3. दीप जलाना
पहले गणेश जी का स्मरण कर दीपक जलाएं। यह आपके कार्यों में विघ्नों को दूर करने का कार्य करेगा।
4. फल और फूलों का अर्पण
मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु को फल, फूल और मिष्ठान अर्पित करें। इस समय आप विशेष मंत्र का जाप करें:
ओ महालक्ष्मी च विद्महे विष्णु पत्नी धीमई तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात
5. आरती
पूजा के अंत में मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की आरती करें। इससे आपके मन में श्रद्धा और भक्ति का भाव बढ़ता है। इसके साथ ही, उनसे प्रार्थना करें कि आपके परिवार में धन-धान्य और समृद्धि बनी रहे।
खीर बनाने की विधि
- खीर की सामग्री: गाय के दूध से खीर बनाएं। इसमें शहद, इलायची पाउडर, और पंच मेवा डालें। शहद का उपयोग रिश्तों को मजबूत करने के लिए किया जाता है, जबकि पंच मेवा स्वास्थ्य में वृद्धि करता है।
- चंद्रमा की छाया में रखना: खीर को रात भर चंद्रमा की छाया में रखें। इसे मध्य रात्रि तक चंद्रमा के प्रकाश में रखना महत्वपूर्ण है।
- प्रसाद: सुबह के समय, थोड़ी खीर भगवान लक्ष्मी और विष्णु को अर्पित करें और फिर परिवार के सदस्यों को बांटें। यह प्रसाद आपके परिवार के लिए समृद्धि और खुशहाली लेकर आएगा।
खीर में विशेष सामग्री
खीर बनाते समय कुछ विशेष सामग्री का उपयोग करना भी लाभकारी होता है:
- शहद: यदि आप खीर में शहद मिलाते हैं, तो यह रिश्तों के लिए बहुत अच्छा होता है। इसे “लिक्विड गोल्ड” भी कहा जाता है, जो धन की बचत में मदद करता है।
- इलायची पाउडर: खीर में इलायची पाउडर डालने से मानसिक तनाव दूर होता है। यह घर के वातावरण को सुखद बनाता है।
- पंच मेवा: खीर में काजू, बादाम, किसमिस और अन्य मेवों का मिश्रण डालने से यह और भी स्वादिष्ट और पौष्टिक हो जाती है। इसे चांद की रोशनी में रखकर सेवन करने से स्वास्थ्य में वृद्धि होती है।
Sharad Purnima का पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा कर हम अपने जीवन में सुख-समृद्धि को आमंत्रित कर सकते हैं। इस विशेष दिन को मनाने से हम अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ा सकते हैं और अपने परिवार में प्रेम और समर्पण को बढ़ावा दे सकते हैं। शरद पूर्णिमा का यह पर्व हमारे जीवन में खुशियों और समृद्धि का संचार करे।
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