America के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल को एक नई Tarrif नीति की घोषणा की, जिसका उद्देश्य भारत, चीन, दक्षिण कोरिया, यूरोपीय संघ, ब्राज़ील और कई अन्य देशों पर उच्च आयात शुल्क (टैरिफ) लगाना है। ट्रंप ने कांग्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि ये टैरिफ अमेरिका को “फिर से अमीर और महान” बनाने के लिए हैं।
उन्होंने अन्य देशों पर आरोप लगाया कि वे अमेरिकी आयात पर अधिक टैरिफ लगाते हैं, जबकि अमेरिका उनसे कम शुल्क वसूलता है। यह नीति वैश्विक व्यापारिक संबंधों में एक नए दौर की शुरुआत करती है, जिसका प्रभाव विशेषकर भारत और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है।
ट्रंप की Tarrif नीति के मुख्य बिन्दु
1. पारस्परिक टैरिफ (Reciprocal Tariffs):
नई नीति का आधार “पारस्परिक टैरिफ” है, जिसका अर्थ है कि अमेरिका उन देशों पर उतना ही Tarrif लगाएगा जितना वे अमेरिकी उत्पादों पर लगाते हैं। ट्रंप ने कहा, “जो भी टैरिफ वे हम पर लगाते हैं, हम उतना ही उन पर लगाएंगे।” यह आक्रामक नीति अमेरिकी व्यवसायों के लिए एक निष्पक्ष व्यापारिक माहौल बनाने का प्रयास है।
2. कृषि उत्पादों पर फोकस:
2 अप्रैल से अमेरिकी बाजार में आने वाले विदेशी कृषि उत्पादों पर नए टैरिफ लागू होंगे। इसका उद्देश्य अमेरिकी किसानों की सुरक्षा और घरेलू कृषि को बढ़ावा देना है, क्योंकि ट्रंप ने “सस्ते और घटिया” विदेशी उत्पादों के कारण स्थानीय किसानों को हो रहे नुकसान पर चिंता जताई।
3. औद्योगिक उत्पादों पर शुल्क:
विदेशी एल्युमिनियम, कॉपर, लंबर और स्टील पर 25% Tarrif लगाया गया है। ट्रंप के अनुसार, यह कदम सिर्फ अमेरिकी नौकरियों की सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि देश की आत्मरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है। इसका उद्देश्य सस्ते विदेशी सामग्रियों के आयात को रोककर अमेरिकी विनिर्माण क्षेत्र को पुनर्जीवित करना है।
4. मेक्सिको और कनाडा पर कार्रवाई:
ट्रंप ने कनाडा और मेक्सिको पर अमेरिका में रिकॉर्ड मात्रा में फेंटानाइल (एक खतरनाक नशीला पदार्थ) आने देने का आरोप लगाया, जिससे हजारों अमेरिकी नागरिकों की मौत हुई। उन्होंने इन देशों को दी जा रही सब्सिडी बंद करने की भी घोषणा की, जो उनकी प्रशासन की सख्त सीमा सुरक्षा और व्यापार नीतियों को दर्शाता है।
भारत और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव:
1. भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव:
- जीडीपी पर प्रभाव:
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की जीडीपी पर इस फैसले का सीमित प्रभाव पड़ेगा। हालांकि, अगर व्यापारिक तनाव बढ़ता है, तो यह अर्थव्यवस्था की विकास दर को धीमा कर सकता है। विशेषकर कृषि और विनिर्माण क्षेत्रों में अमेरिकी बाजार में निर्यात को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। - शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव:
शेयर बाजार में कुछ क्षेत्रों में गिरावट देखी जा सकती है। उन कंपनियों के शेयरों पर खास असर पड़ेगा जो अमेरिकी बाजार पर अधिक निर्भर हैं, जिससे समग्र बाजार भावना पर असर पड़ेगा। - रोजगार पर असर:
Tarrif नीति के कारण उन उद्योगों में नौकरियों में कटौती हो सकती है जो अमेरिकी व्यापार पर निर्भर हैं। भारतीय कंपनियां, जिनका अमेरिका में बड़ा व्यापारिक हिस्सा है, बढ़ी हुई परिचालन लागत के कारण छंटनी का सहारा ले सकती हैं। - निर्यात-आयात असंतुलन:
भारत के लिए अमेरिका के साथ व्यापार संतुलन बनाए रखना मुश्किल हो सकता है। ऑटोमोबाइल, वस्त्र, और दवाओं जैसे प्रमुख निर्यात क्षेत्रों को अमेरिकी बाजार में मांग घटने का खतरा हो सकता है।
2. वैश्विक अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव:
- व्यापार युद्ध का खतरा:
इस नीति से वैश्विक व्यापार युद्ध की स्थिति बन सकती है। अगर अन्य देश भी जवाबी Tarrif लगाते हैं, तो यह वैश्विक व्यापार बाधाओं में वृद्धि कर सकता है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार प्रणाली प्रभावित होगी। - अमेरिकी कंपनियों पर दबाव:
कई अमेरिकी कंपनियां भारत और चीन जैसे देशों से आयात पर निर्भर हैं। बढ़े हुए Tarrif के कारण उनके उत्पादन लागत में वृद्धि होगी, जिससे उपभोक्ताओं पर महंगाई का बोझ पड़ सकता है। - आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान:
नई टैरिफ नीति विशेषकर प्रौद्योगिकी, ऑटोमोबाइल और कृषि उद्योगों में वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को बाधित कर सकती है। कंपनियों को वैकल्पिक आपूर्तिकर्ताओं की तलाश करनी पड़ सकती है, जिससे लागत में वृद्धि और लाभप्रदता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। - अन्य देशों की प्रतिक्रियाएं:
प्रभावित देश, जैसे चीन, यूरोपीय संघ और भारत, अमेरिकी उत्पादों पर अपने Tarrif लगा सकते हैं, जिससे अंतर्राष्ट्रीय व्यापारिक संबंधों में और तनाव बढ़ेगा।
भारत के लिए चुनौतियां और अवसर:
1. व्यापारिक कूटनीति में कुशलता:
भारत को अमेरिका के साथ व्यापारिक वार्ता में अधिक संतुलित रुख अपनाना होगा और Tarrif के मुद्दे पर समाधान निकालना होगा।
2. वैकल्पिक बाजारों की तलाश:
अमेरिकी बाजार पर निर्भरता कम करने के लिए भारत को यूरोप, दक्षिण-पूर्व एशिया और अफ्रीका जैसे नए व्यापारिक साझेदारों की तलाश करनी होगी।
3. घरेलू उद्योगों को बढ़ावा:
सरकार को स्थानीय विनिर्माण और रोजगार को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन योजनाएं शुरू करनी होंगी।
4. वैश्विक निवेश आकर्षित करना:
भारत वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में चीन का विकल्प बन सकता है। इसके लिए बेहतर कारोबारी माहौल, सरल नियम और कर लाभ जैसी नीतियों को अपनाना होगा।
लंबी अवधि के लिए रणनीति:
- व्यापार नीति में सुधार:
भारत को अपनी व्यापार नीतियों पर पुनर्विचार करना चाहिए और निर्यात में स्थायी वृद्धि के लिए रणनीतियां बनानी चाहिए। - प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार:
अनुसंधान और विकास में निवेश, नई तकनीकों को अपनाकर भारतीय व्यवसायों को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाना आवश्यक है। - घरेलू मांग को मजबूत करना:
‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसी पहलों के माध्यम से घरेलू खपत को प्रोत्साहित किया जा सकता है। - किसानों और लघु उद्योगों का समर्थन:
टैरिफ के प्रभाव से प्रभावित किसानों और छोटे व्यवसायों के लिए वित्तीय सहायता, सब्सिडी और नए बाजारों तक पहुंच की व्यवस्था करनी चाहिए।
Donald Trump की Tarrif नीति एक साहसिक और चुनौतीपूर्ण कदम है, जो न केवल अमेरिका बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी प्रभाव डालेगी। भारत के लिए चुनौती यह है कि वह अमेरिकी व्यापारिक नीतियों का सामना करते हुए अपने घरेलू उद्योगों की रक्षा कैसे करे।
सही व्यापारिक नीतियों, नए बाजारों की खोज और स्थानीय उद्योगों के सशक्तिकरण के माध्यम से भारत इस चुनौतीपूर्ण स्थिति में भी अवसर खोज सकता है। बदलते वैश्विक व्यापारिक माहौल में, भारत की आर्थिक स्थिरता और विकास के लिए सक्रिय नीतिगत कदम और लचीला दृष्टिकोण महत्वपूर्ण होंगे।
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