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Dhanteras 2024 : समृद्धि और शुभता का पर्व

Dhanteras

Dhanteras

Dhanteras जिसे धन त्रयोदशी भी कहा जाता है, हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह त्यौहार हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है। इस दिन का अर्थ है “धन” और “तेरस” अर्थात 13वां दिन। यह दिन विशेष रूप से धन और संपत्ति के साथ-साथ नए सामान की खरीददारी के लिए शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन खरीदी गई वस्तुएं 13 गुना लाभ देती हैं और दान का पुण्य भी 13 गुना मिलता है।

पर्व का महत्व और दिन

Dhanteras का पर्व दीपावली महोत्सव की शुरुआत करता है, जो पांच दिनों तक चलता है। इस बार धन तेरस 29 अक्टूबर 2023 को मनाया जाएगा। इसके बाद 30 अक्टूबर को नरक चतुर्दशी, 31 अक्टूबर को रूप चौदस और प्रदोष, और 1 नवंबर को दीपावली मनाई जाएगी। इसके पश्चात 2 नवंबर को गोवर्धन पूजा और 3 नवंबर को भाई दूज का पर्व आता है।

Dhanteras की पूजा के शुभ मुहूर्त

Dhanteras की पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त प्रदोष काल में होता है, जो 29 अक्टूबर को शाम 5:01 से 6:31 तक रहेगा। इसके अलावा पूजा का अन्य शुभ समय शाम 5:01 से रात 8:11 तक भी है। धनतेरस पर खरीदारी करने का शुभ समय सुबह 10:33 से रात 8:11 तक रहेगा। यदि कोई व्यक्ति इस दिन खरीदारी नहीं कर पाता है, तो वह 30 अक्टूबर को भी दोपहर 1:01 बजे तक खरीदारी कर सकता है।

Dhanteras

खरीदारी के शुभ मुहूर्त

  1. अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:04 से 12:32 तक
  2. अमृत काल: सुबह 10:02 से 12:01 तक
  3. विजय मुहूर्त: दोपहर 1:05 से 2:04 तक
  4. गोधूली मुहर्त: शाम 5:38 से 6:04 तक

इन मुहूर्तों में आप अपनी पसंद की वस्तुएं खरीद सकते हैं, विशेष रूप से बर्तन, सोना-चांदी और नए वाहन।

वाहन खरीदने के शुभ मुहूर्त

यदि आप इस दिन वाहन खरीदने का मन बना रहे हैं, तो इसके लिए भी विशेष शुभ मुहूर्त हैं:

  1. पहला मुहूर्त: सुबह 10:04 से 12:05 तक
  2. दूसरा मुहूर्त: दोपहर 12:05 से 1:02 तक
  3. तीसरा मुहूर्त: शाम 7:15 से रात 8:51 तक

ध्यान रहे कि नए वाहन की पूजा अवश्य करें और वाहन पर एक मौली और पीला वस्त्र अर्पित करें। इस वस्त्र को बाद में मंदिर में ब्राह्मण को दान करना चाहिए।

पूजा विधि

Dhanteras की पूजा एक साधारण लेकिन महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। यहां हम देखेंगे कि किस प्रकार पूजा की जाए:

  1. स्नान और शुद्धता: पूजा से पहले स्नान करें या हाथ-पांव धोकर नए वस्त्र पहनें।
  2. दीपक जलाना: सबसे पहले एक कर्म साक्षी दीपक जलाएं। यह दीपक आपकी सभी पूजा-पाठ के लिए साक्षी होगा।
  3. कलश स्थापना: एक कलश लें, जिसमें गंगाजल डालकर उसे जल से भरें। उसमें सिक्का, सुपारी, अक्षत और पुष्प डालें और उसके ऊपर आम या अशोक के पत्ते रखें।
  4. भगवान गणेश की पूजा: सबसे पहले भगवान गणेश का पूजन करें। जल के छींटे डालकर स्नान का भाव करें, फिर धूप, दीप, अक्षत और पुष्प अर्पित करें।
  5. मां लक्ष्मी की पूजा: उसी तरह से मां लक्ष्मी की पूजा करें।
  6. धनवंत्री और कुबेर की पूजा: यदि आपके पास धनवंत्री और कुबेर की मूर्ति या चित्र हैं, तो उनकी पूजा करें। अन्यथा, सुपारी के साथ चावल और पत्ते का उपयोग करें।
  7. भोग अर्पित करना: पूजा के बाद फल और मिठाई का भोग लगाएं।
  8. खरीदारी का ध्यान: जो भी सामान आप धनतेरस पर खरीदते हैं, उसे पूजा स्थल पर रखें और देवी-देवताओं को अर्पित करें। यह सामान दीपावली के बाद उपयोग किया जाएगा।

यम दीपक की परंपरा

Dhanteras की रात को यम दीपक जलाने की परंपरा भी है। इसे जलाने से यमराज की कृपा से अकाल मृत्यु का भय टल जाता है। यम दीपक को घर के मुख्य द्वार पर रखकर जलाना चाहिए, और इसे केवल तब जलाना चाहिए जब सभी परिवार के सदस्य घर में हों।

धन तेरस का पर्व केवल समृद्धि का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह परिवार और समाज में एकजुटता और श्रद्धा का भी संकेत है। इस दिन की गई पूजा और दान से व्यक्ति को विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। यह पर्व हमें याद दिलाता है कि भौतिक संपत्ति के साथ-साथ आध्यात्मिक समृद्धि भी महत्वपूर्ण है। इस Dhanteras पर, अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर इस पावन पर्व का आनंद लें और समृद्धि की कामना करें।

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