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Agnikul Launched Agnibaan :

Agnikul

Agnikul

Agnikul ने अपना पहला 3D राकेट Agnibaan लांचकर दिया | यह सफलता चार असफलताओं के बाद प्राप्त हुई |

कल भारत के द्वारा एक मेजर सक्सेस अचीव किया गया क्योंकि पहली बार दुनिया का पहला 3डी रॉकेट सक्सेसफुली हमने लॉन्च किया और इसका नाम है अग्निबाण | आपको बता दूं कि अभी तक इसरो ने भी इसको करके नहीं दिखाया है तो कहीं ना कहीं भारत का जो प्राइवेट स्पेस सेक्टर है वह काफी तेजी से बढ़ेगा इस अचीवमेंट के बाद चलिए इसके बारे में डिटेल से समझेंगे |

अपनी चार असफलता के बाद फाइनली चेन्नई बेस्ड यह स्पेस स्टार्टअप कंपनी जिसका नाम है Agnikul Cosmos, बेसिकली स्पेस स्टार्टअप कंपनी हैं | Agnikul ने कल ही 3D rocket को सक्सेसफुली कैरी आउट किया है टेस्ट फ्लाइट | ध्यान रखिएगा ये अभी के लिए टेस्ट फ्लाइट था लेकिन अपने आप में एक बड़ी बात है वो हम जानेंगे आगे और ये सब ऑर्बिटल टेस्ट फ्लाइट था |

सब ऑर्बिटल का मतलब होता है जैसे मान लो यह पृथ्वी है अगर हम इसका पूरे चक्कर काटते हैं तो एक ऑर्बिट कहते हैं | लेकिन अगर आप वहीं पर पृथ्वी में एक जगह से दूसरे जगह तक अगर आप इसको भेजते हो तो इसको सब ऑर्बिटल मिशन कहते हैं और खास बात यह है कि यह जो रॉकेट है जिसकी हम बात कर रहे हैं अग्नि बाण ये दुनिया का पहला 3डी प्रिंटेड सेमी क्रायोजेनिक रॉकेट है |

Agnikul की लॉन्चिंग ख़ास क्यों हैं ?

Agnibaan भारत में ही बनाया गया है दूसरी इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि इसको श्री हरिकोटा में यहां पर जो प्राइवेट लॉन्च पैड है वहां से इसको लॉन्च किया गया है | जैसा की हम सब जानते हैं कि आंध्र प्रदेश के ईस्टर्न कोस्ट में श्री हरिकोटा आइलैंड जैसा देखने को मिलता है | तो वहां पर जो इसरो है वो लॉन्च करता है अपने रॉकेट्स वगैरह को लेकिन इसके साथ-साथ यहां एक अलग से स्पेस दिया हुआ है |

और यह देश का पहला प्राइवेट लॉन्च पैड है और इसको Agnikul को यह स्पेस दिया गया हैं | भारत में इसके पहले एक और प्राइवेट कंपनी ने रॉकेट लॉन्च किया था , 2022 में नवंबर के महीने में स्काई रूट एरोस्मिथ वो एक्चुअली इसरो वाले लॉन्च पैड से किया था लेकिन ये वाला जो लॉन्च किया गया है ये प्राइवेट लॉन्च पैड से किया गया है |

श्री हरिकोटा के अंदर ही और ये इसके अंदर जो इंजन लगाया हुआ है इसका नाम है अग्नि लेट इंजन और ये भी दुनिया का पहला सिंगल पीस 3d प्रिंटेड सेमी क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन है | और यह जो मिशन है लगभग ये 2 मिनट के आसपास का था | Agnikul Cosmos यह ट्वीट आया है |

मुख्य बात ये हैं कि इसको एक प्राइवेट स्पेस एजेंसी ने लांच किया , लेकिन इसरो का भी बहुत बड़ा योगदान दिया | इसरो ने बहुत मदद की | और कही न कही सरकार का भी ये उद्देश्य है कि देश के अंदर जो प्राइवेट स्पेस सेक्टर है उसको और ज्यादा बढ़ावा दिया जाए |

अमेरिका वगैरह में आप देखोगे तो हम नासा की तो बात करते हैं लेकिन इसके साथ-साथ एलोन मस्क की जो कंपनी है स्पेस एकस हो गया तो वहां पर कई सारे आपको प्राइवेट से प्राइवेट जो प्लेयर्स है वो भी देखने को मिलते हैं तो अगर हमें स्पेस सेक्टर को और बड़ा बनाना हैं तो प्राइवेटपार्टिसिपेशन काफी जरूरी हो जाता है |

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कुछ ही लोग वहां पर मौजूद थे उनके मौजूदगी में यह लॉन्च किया गया | लेकिन सबसे खास बात यह है कि करीब चार बार यह फेल हो गया था | मतलब कुछ टेक्निकल ग्लिच की वजह से इसको लॉन्च ही नहीं किया गया लॉन्च को रद्द करना पड़ा | लेकिन चेन्नई बेस्ड ये जो स्टार्टअप है इसमें काफी युवा टीम है| इसके अंदर जो इंजीनियर्स है उन्होंने हार नहीं मानी | और फाइनली इसको पूरा करके दिखाया |

Agnibaan

अब हम आते हैं इस रॉकेट के बारे में में ये जो अग्नि बाढ़ की हम बात कर रहे हैं ये बेसिकली जब पूरा बन के तैयार हो जाएगा तो ये टू स्टेज लॉन्च व्हीकल होगा अभी के लिए तो क्या है कि ये डेमोंस्ट्रेट वाला है टेस्ट फ्लाइट के लिए है | तो ये सिंगल स्टेज वाला था | मतलब हम फ्यूल की बात कर रहे हैं |

तो ये टू स्टेज लॉन्च व्हीकल होने वाला है और इसकी वजह से आप कह सकते हैं करीब 300 किलो जो पेलोड है जो कैपेसिटी है वो हमें देखने को मिलेगी और ये 700 किमी के ऑर्बिट में सेटेलाइट्स को लॉन्च कर सकता है |और साथ ही साथ ये 3d प्रिंटेड है | और दूसरा इसमें यह है कि सेमी क्रायोजेनिक इंजन इसके अंदर लगा है |

Cryogenic Engine

ये सबसे खास है अभी तक आपने सुना होगा क्रायोजेनिक इंजन के बारे में | आपने सॉलिड फ्यूल के बारे में सुना होगा लेकिन सेमी क्रायोजेनिक इंजन क्या होता है इसके अंदर लिक्विड और गैस प्रोपेलेंट दोनों ही देखने को मिलते हैं जैसे भारत में इसरो जो है क्रायोजेनिक इंजन इस्तेमाल करता है जीएसएलवी के अंदर आपको पता होगा तो उसमें लिक्विड ऑक्सीजन हो गया तो वो लिक्विड फॉर्म में उसका इस्तेमाल इस्तेमाल किया जाता है लेकिन इसमें लिक्विड और गैस दोनों का मिक्स है ,इसलिए इसको इंजन सेमी क्रायोजेनिक कहा जा रहा है |

इसके अलावा जब इसको बनाया जा रहा था 3डी प्रिंटेड रॉकेट से तो सब कुछ इसमें ऑटोपायलट मोड पर डाल दिया गया सॉफ्टवेयर वगैरह के माध्यम से सब कुछ इन हाउस इसको डेवलप किया गया है और इसके अंदर जो लिक्विड फ्यूल और जो मिक्स है वह सब कूल्ड लिक्विड ऑक्सीजन है | इसके अंदर और जो एविएशन टरबाइन फ्यूल होता है उसका भी इसके अंदर इस्तेमाल किया गया है |

अब जो अगर हम बात करें ये जो कल मिशन हुआ था इसमें हुआ क्या एगजैक्टली देखो जब ये फ्लाइट ने उड़ान बढ़ी ये जो रॉकेट है उसने उड़ान भरी तो 4 सेकंड के अंदर-अंदर इसने मनवर किया बेसिकली क्या है कि मान लो रॉकेट तो ऐसे है वर्ट पोजीशन पर लेकिन जिस डायरेक्शन में जाना है तो जब इसने उड़ान भरी ऊपर गया |

तो वहां से इसने डायरेक्शन चेंज की और विथ इन 4 सेकंड वो रोटेट भी हुआ मतलब जो भी उसको करना है यह दिखाने की कोशिश की गई कि हम रॉकेट के माध्यम से कई सारी चीजें अचीव कर सकते हैं फिर उसके बाद क्या है कि 1 मिनट 29 सेकंड्स के बाद ये सबसे अपने हाईएस्ट लेवल पर चला गया |

मतलब ये हम डेमोंस्ट्रेट करके दिखा रहे थे कि कितना ऊंचा तक जा सकता है तो एकदम हाईएस्ट लेवल पर जाकर फिर वापस से बे ऑफ बंगाल में जाकर ये एक तरह से गिर गया तो अब सवाल ये है कि ये जो हमने अचीव किया है इससे हम क्या देख सकते हैं |

बेसिकली तीन माइलस्टोन इसके अंदर बताया जा रहे हैं ,

सबसे पहला तो ये हमें डेमोंस्ट्रेट करके दिखाना था कि भारत का पहला लॉन्च जो है लॉन्च पैड से अ प्राइवेट लॉन्च पैड क्या हम उसको कर सकते हैं कि नहीं बिल्कुल कर सकते हैं तो ये पहला अचीवमेंट हैं |

दूसरा , इसमें भारत का पहला सेमी क्रायोजेनिक इंजन रॉकेट लॉन्च के अंदर लगाया है |

फिर तीसरा इसके अंदर है वो जो मैंने आपको बताया 3d प्रिंटेड |

हम कह सकते हैं कि जो उद्देश्य था इसको लॉन्च करने का वो यही था कि हम इसका टेस्ट फ्लाइट करके देखें और ये समझ सके कि क्या हमने देश के अंदर ये फुल्ली मेड इन इंडिया जो रॉकेट बनाया है क्या ये सही से वर्क करेगा कि नहीं फिर इसके अलावा जब इसने उड़ान भरी तो जो भी डाटा कलेक्ट हुआ वो हमारे पास आया |

Agnikul शब्द की उत्पत्ति

अग्निकुल हिंदी और संस्कृत शब्द से लिया गया है जिसका मतलब होता है आग | को 2017 में फाउंड किया गया था इस स्टार्टअप को और साथ ही साथ देश में जितने भी लॉन्च पैड है वो एक्चुअली इसरो के द्वारा ही कंट्रोल किए जाते हैं | लेकिन इकलौता ये प्राइवेट लॉन्च पैड है जो अग्निकुल के द्वारा कंट्रोल किया जाता है आगे आने वाले समय में अब भारत का आगे जो कई है उसमें उद्देश्य हैं , दो मेजर चीज है वो ये है कि 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन जो स्पेस स्टेशन होता है उसको लॉन्च करना और 2040 तक फर्स्ट इंडियन को मून पर भेजना |

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