Sector 36 Review : विक्रांत मैसी की फिल्म की कहानी में अपेक्षित प्रभाव की कमी

Sector 36 : विक्रांत मैसी की हालिया फिल्म Sector 36 ने दर्शकों और समीक्षकों के बीच मिश्रित प्रतिक्रियाएं उत्पन्न की हैं। यह फिल्म 2005-2006 की निठारी हत्याओं से प्रेरित है और एक सायकोपैथ के जटिल चरित्र को चित्रित करने का प्रयास करती है। लेकिन, फिल्म का प्रदर्शन अपेक्षित प्रभाव को हासिल करने में असफल रहा है।

Sector 36 कहानी और निर्देशन

फिल्म का निर्देशन आदित्य निम्बालकर ने किया है और पटकथा बोधयान रॉयचौधरी ने लिखी है। Sector 36 में विक्रांत मैसी ने प्रेम का किरदार निभाया है, जो एक व्यवसायी का नौकर है और हत्या के कृत्यों में लिप्त है। फिल्म में प्रेम का चरित्र एक पूरी तरह से हिंसा से परिपूर्ण व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो गरीब और वंचित बच्चों को शिकार बनाता है।

कहानी के अनुसार, प्रेम का चरित्र न्यूटन के तीसरे नियम – “प्रत्येक क्रिया का समान और विपरीत प्रतिक्रिया होती है” – पर आधारित है। यह दर्शाने का प्रयास किया गया है कि प्रेम की हिंसा और अमानवीय कृत्य उसके बचपन की पीड़ा और गरीब होने की प्रतिक्रिया हैं। लेकिन, यह कथानक दर्शकों को पूरी तरह से प्रभावित करने में असफल रहता है। प्रेम की हत्याओं और उसके मानसिक स्थिति का चित्रण असल में उतना काबिले तारीफ नहीं है जितना कि होना चाहिए था।

Sector 36 प्रस्तुतिकरण और अभिनय

फिल्म में प्रेम का किरदार विक्रांत मैसी ने निभाया है, और वह एक हिंसक और अजीब चरित्र का चित्रण करते हैं। प्रेम का चरित्र हिंसा और कुकृत्यों के प्रति पूरी तरह से अडिग है। वह बच्चों को अपनी जाल में फंसाता है, उन्हें यौन शोषण करता है और फिर उनकी हत्या करता है। हालांकि, मैसी के अभिनय में एक विचित्रता नजर आती है, जिसमें हास्य और भयावहता का मिश्रण है। प्रेम के हास्यपूर्ण व्यवहार और उसकी कुटिलता की वजह से उसका चरित्र पूरी तरह से चौंकाने वाला नहीं बन पाता।

दीपक डोबरियाल ने पुलिस इंस्पेक्टर राम चरण पांडे का किरदार निभाया है, जो कि अपने नौकरी और स्थिति से संतुष्ट रहने वाला एक आम पुलिस अधिकारी है। उसकी भूमिका में वह आंशिक रूप से उदासीन और निष्क्रिय नजर आता है। पांडे का चरित्र धीरे-धीरे अपनी जिम्मेदारियों को समझता है और प्रेम के कृत्यों की जांच करने की दिशा में कदम बढ़ाता है। लेकिन, उसके प्रयास और उसकी भूमिका की गहराई को फिल्म में पूरी तरह से उजागर नहीं किया गया है।

पटकथा और सीन

Sector 36 की पटकथा बहुत ही असंगठित और कमजोर प्रतीत होती है। फिल्म में प्रेम के कृत्यों की व्याख्या और उसके मनोविज्ञान की गहराई को स्पष्ट रूप से नहीं दिखाया गया है। यह फिल्म अधिकतर सतही और भावनात्मक रूप से ठंडी रहती है। फिल्म के महत्वपूर्ण सीन, जैसे प्रेम की खुलासा करने वाली लंबी बातचीत, अपने बुरे कृत्यों को सार्वजनिक रूप से स्वीकार करने वाले सीन, पूरी तरह से प्रभावित करने में असफल होते हैं। इन सीन की गहराई और चरित्र के मनोविज्ञान को पूरी तरह से चित्रित नहीं किया गया है।

सारांश

Sector 36 एक ऐसी फिल्म है जो एक गंभीर और जटिल अपराध के विषय को लेकर आती है, लेकिन इसे सही तरीके से प्रस्तुत करने में असफल रहती है। विक्रांत मैसी और दीपक डोबरियाल के अभिनय में कुछ सकारात्मक पहलू हैं, लेकिन फिल्म की पटकथा और निर्देशन की कमजोरी इसको एक प्रभावी क्राइम थ्रिलर बनने से रोकती है। इस फिल्म को देखने के बाद दर्शकों को एक अद्वितीय और भयावह अनुभव की अपेक्षा थी, जो पूरी तरह से पूरा नहीं हो सका।

फिल्म Sector 36 को देखने के बाद यह कहना मुश्किल है कि क्या यह दर्शकों को एक गहरी छाप छोड़ सकेगी या सिर्फ एक और असफल प्रयास होगी। कुल मिलाकर, यह फिल्म अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में विफल रहती है और एक सशक्त क्राइम ड्रामा बनने की संभावनाओं को गंवा देती है।

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