Polygraph Test and Lie Detector : Polygraph Test क्या होता है , वह किस तरह परफॉर्म होता हैं ? Lie Detector मशीन क्या होती है ? इस बारे में जानेंगे | Polygraph Test जिसे हम Lie Detector टेस्ट भी कहते हैं , यदि झूठ बोलना यानि अगर कोई आदमी झूठ बोल रहा है तो यह जानने के लिए कि वह सच में झूठ बोल रहा हैं या नहीं ? एक टेस्ट कराया जाता हैं जिसे Polygraph Test कहते हैं |
बात करे , हम सभी के डेली रूटीन की तो हम पता नहीं कितने सारे सच बोलते हैं पता नहीं कितने सारे झूठ बोलते हैं , फिर चाहे वो इंटेंशनल हो चाहे वो अनइंटेंशनल हो | बहुत बार बहुत ही छोटी-छोटी बातें होती हैं , हालांकि सच बोले तो अच्छी बात है लेकिन उन केसेस में झूठ बोले तो भी कुछ बड़ा फर्क नहीं पड़ता | लेकिन कोई ऐसे स्टेटमेंट जिसके ऊपर बहुत सारी चीजें टिकी हैं बहुत फर्क पड़ता हैं |
Polygraph Test सच या झूठ ?
Polygraph Test : यहां पे बहुत ही बेसिक उदाहरण है , मान लीजिए कोई कोर्ट हियरिंग है किसी विक्टिम का कोई स्टेटमेंट है किसी सस्पेक्ट का कोई स्टेटमेंट है तो यहां पे हमारे लिए जानना बहुत जरूरी बन जाता है कि आखिर वो इंसान सच बोल रहा है या नहीं , अब देखिए अगर आप एक एक्सपर्ट है, जिसे हिंदी में कहते हैं कि आपने दुनियादारी बहुत देखी है |
आपको दुनियादारी की समझ है तो हो सकता है कि आप अगर किसी इंसान के सामने बैठ के उससे बात करें तो शायद आप जज कर पाएं कि वो जो इंसान है वो सच बोल रहा है या नहीं | लेकिन Accuracy दूर दूर तक कभी भी आप हिट नहीं कर पाएंगे | हो सकता है कभी तुक्का लग जाए तो आपका जवाब सही निकल जाए |
लेकिन ऐसे में एक सामने बैठे हुए इंसान से बात करके पता लगाना कि वो सच बोल रहा है या नहीं बहुत ही मुश्किल काम है , लेकिन अगर एक मशीन ऐसा काम करें तो शायद Accuracy बढ़ सकती है , और इसी सोच के साथ में 1921 में पहली बार जॉन लार्सन ने इसे डेवलप किया था इस टेस्ट को , जो खुद एक मेडिकल स्टूडेंट थे | Polygraph Test
1921 के बाद से लेके आज तक हम सभी इस टेस्ट में कंटीन्यूअस इंप्रूवमेंट्स करते आ रहे हैं और कोशिश यही करते हैं कि इसकी एक्यूरेसी को हम कैसे ज्यादा से ज्यादा बढ़ा सकें | लेकिन फिर भी आज की डेट में यह एक क्वेश्चनेबल चीज है | बहुत सारी जगहों पे इसको अलाउ किया जाता है , बहुत सारी जगहों पे ये इलीगल भी है |
अगर बात करे इंडिया की तो यहाँ पर ये टेस्ट कंप्लीट इलीगल है ,फोर्सफुली किसी के ऊपर भी ऐसा कोई टेस्ट नहीं किया जा सकता है लेकिन हां अगर कोई चाहे इस टेस्ट का हिस्सा बनना तो इसे कंडक्ट किया जा सकता है , ;लेकिन इसको कोर्ट में एक स्ट्रांग एविडेंस नहीं माना जाता | भारत में Polygraph Test बिना कोर्ट की अनुमति के नहीं किया सकता हैं | लेकिन कई बार Polygraph Test भी फेल हो गए हैं , वैज्ञानिक भी नहीं झूठ पकड़ पाए |
आखिर Polygraph Test काम कैसे करता है ?
हमारा जो दिमाग है वो तो एक प्रोसेसर है सारी चीजें हमारे दिमाग से निकल के आ रही हैं , वो कंप्लीट प्रोसेसिंग कर रहा है | अगर हम झूठ बोलेंगे या फिर सच बोलेंगे तो दोनों में आउटकम वो थोड़ा सा डिफरेंट हो जाएगा | ब्लड प्रेसर , पसीना आना , पल्स रेट ये सब इंडिकेशन होते हैं हमारे सच या झूठ का पता लगाने के लिए |
प्रश्नकर्ता जब प्रश्न पूछता हैं तो जिसका टेस्ट करना हैं तो उसके दिमाग से कुछ सिग्नल निकलते हैं जिन्हे P3 कहते हैं | ये सब सिग्नल मशीन में रिकॉर्ड होते हैं | इन्ही पैरामीटर के आधार पर जांचकर्ता यह डिसीजन ले पाते हैं कि व्यक्ति झूठ बोल रहा हैं या सच | लेकिन अपवाद स्वरूप कभी कभी ये पैरामीटर भी सच या झूठ का पता नहीं लगा पाते |
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